रविवार, 5 फ़रवरी 2012

गुरु घासीदास जी की मंगल आरती

ॐ जय घासीदास हरे , साहेब जय घासीदास हरे ।
माया असत यम बंधन छोरत, हंसाही पर करे ।। ॐ जय.
सत सुमिरत सुख होवै, पाप भगे तन का । साहेब . 
दुःख दरिद्री मिटावै, भरम मिटे मन का ।। ॐ जय  .
सतगुरु पूर्ण अगोचर, घट घट के वासी । साहेब .
काम क्रोध मद हरता, काटै यम फासी ।। ॐ जय .
सत्य पुरुष पुरषोत्तम तुमहि, अगजग के स्वामी । साहेब .
भाव भक्ति पहिचानो सबके, तुम अंतर्यामी ।। ॐ जय.
अलख पुरुष निर्वाण अगम गति, महिमा न जानी परे । साहेब.
साधक संत सुजान भक्त जन, निशि दिन ध्यान धरे ।। ॐ साहेब.
निराकार ओंकार निरक्षर, अक्षर रूप गहे । साहेब.
जन मन रंजन खल दल गंजन, नाम निरंजन दे ।। ॐ जय.
कलिमल अघदल दलन दयानिधी, सतपथ प्रकट करे । साहेब.
सुक्ष्म वेदाचार्य ज्ञान वपु , दलितोद्धार करे ।। ॐ जय.
सतखोजी सतलोक निवासी, सत्य संदेश कहे । साहेब.
सत्य पुरुष के अंश रूप तुम, असत से दूर रहे ।। ॐ जय.
ॐ जय घासीदास हरे , साहेब जय घासीदास हरे ।
माया असत यम बंधन छोरत, हंसाही पर करे ।।

1 टिप्पणी:

  1. Samaj aur GuruGhasidas babaji ko Bechane ke liye kitni chamchGiri kiya hai tune.............Mujhe Maloom hai Hindutva me wo takat nahi ki wo satya ko Mita de lekin tumhare jaise chamche+Gulamo ki vajah se baar-2 satya ko Asatya(jhhot-fareb) k bich sangharsh hota aaya hai...............Yaad rakho aapke pahle bhi Brahmanvadi sangathano ke chamche hamare log bane lekin kutta kahi bhi rahe jhoothan to khana padega hi..............Tumhari bhi halat vahi hogi GHAR ke Na GHAT ke

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