शनिवार, 30 नवंबर 2013

प्रकृति पूजा का र्पव है करमा

करमा पूजा प्रकृति र्पव है। यह प्रकृति की पूजा करने का संदेश देता है।

   
भादो शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन करमा का पर्व गाव - गाव में पूरे विधि विधान और अनुष्ठान के साथ मनाया जाता है। करमा पर्व कृषि और प्रकृति के साथ साथ भाई बहनो  के अटूट बंधन से जुड़ा पर्व है। 

 उक्त बातें भाजपा नेता दीनानाथ खुंटे ने कही। वे रविवार को  ग्राम पंचायत पिण्डरी में आयोजित करमा पूजा महोत्सव में शामिल हुए थे। 

इस पर्व में वे देर रात को पहुचे | सबसे पहले  उन्होंने करमासेमी मईया को विधिवत पुजन किया और ग्रामीणों के साथ बैठ कर करमा नृत्य  का आनंद लिये।
इस दौरान उन्होंने करमा पर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत मातृ पूजा का देश है, आदि काल से पूर्वज प्रकृति की पूजा करते रहे हैं जो अब भी जारी है।

  करमा पूजा धार्मिक आस्था पर र्निभर करता है। करमा पूजा से जीवन में सुख व समृद्धि प्राप्त होती है ऐसा सभी मानते हैं। देर रात्री में क्षेत्र के जाने माने नेता दीनानाथ खूंटे के आगमन से गाव के लोगों में नई उर्जा का संचार हुआ और गांव के लोगों ने उत्साह के साथ रातभर करमा नृत्य किया और सुबह तालाब में करमासेमी मईया का विसर्जन किया गया। इस अवसर पर ग्राम पंचायत के सरपंच श्रीमती ललीता महेस, शशिचंद महेष, शीवलाल खुंटे, रामदेव कुर्रे, संजय महंत, भगवान दास, बुंदरू सहित ग्रमवासी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।